भीष्म पितामह ने तब तक प्राण नहीं छोड़े जब तक वो कौरवों और पांडवों को जीवन की सीख नहीं दे गए । आप भी जानें इनके बारे में, ये सीख जीवन जीना सिखाती हैं ।
New Delhi, Nov 26 : भीष्म पितामह के बारे में क्या जानते हैं आप, ये महाराज शांतनु और देवी गंगा के पुत्र थे । पिता के प्रेम के लिए इन्होने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने की शपथ ली । मृत्यु को भी परास्त किया और इच्छा मृत्यु प्राप्त की । भीष्म एक दिव्यात्मा थे, जिन्होने मृत्यु शैय्या पर भी अपने धर्म का पालन किया और पांडवों समेत बाकी सभी को जीवन की सीख दी । जानिए भीष्म द्वारा दी गई शिक्षा से जुड़ी कुछ अहम बातें, जिन्हें अगर हम अपने जीवन में उतार लें तो जीवन की राह आसान हो जाएगी ।
भीष्म ने बताई ये योग्यताएं
भीष्म पितामह ने मानव जीवन जीने के लिए व्यक्ति में इन योग्यताओं का होना जरूरी बताया है । व्यक्ति को सादगी से रहना चाहिए । स्वच्छ शरीर और पवित्र मन उसका ध्येय होना चाहिए । मनुष्य को कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए । शांति से रहेंग, क्रोध ना करे, क्षमा धर्म का पालन करें । कभी किसी बात का अभिमान ना करें, दूसरों को देने की क्षमता रखें । परिवार का ख्याल रखना, ये सब बातें एक मनुष्य में होनी ही चाहिए ।
कोई काम अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए
भीष्म पितामह ने जीवन में जिस भी चीज का प्रण किया उसे पूरा किया । उसके लिए चाहे उन्हें अपने प्राण ही क्यों नहीं देने पड़े । उनकी सबसे बड़ी सीख है कि जीवन में कुद भी काम करो उसे हमेशा पूरा करो । काम को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए । काम अधूरा छोड़ने वाले नकारात्मकता के शिकार होते हैं । ऐसे व्यक्ति जीवन में कुछ नहीं कर पाते ।
ऐसे व्यक्ति से दूर रहने की दी सलाह
गुस्सैल लोग – भीष्म पितामह ने बताया कि आक्रामक लोगों से दूर रहना चाहिए । गुस्सैल प्रवृत्ति के लोग पॉजिटिव चीजों को भी नेगेटिव में बदल देते हैं । इन लोगों के आसपास रहने से मन की शांति छिन जाती है ।
आलसी – अधिक आलसी लोगों का साथ भी नहीं करना चाहिए । ऐसे लोग जीवन में ना तो अपने लिए कुछ करते हें और ना ही किसी और के लिए । ऐसे लोग नकारात्मकता फैलाते हैं ।
अविश्वासी व्यक्ति
दूसरों को शक की नजर से देखने वाले, अविश्वास रखने वाले लोग ज्यादा दूर तक सोच ही नहीं पाते । उनका दायरा बहुत सीमित होता है । ऐसे व्यक्ति आपको सफलता के शिखर से धरातल पर लाने की ताकत रखते हैं ।
गलत काम में लिप्त व्यक्ति – ऐसे व्यक्ति नकारात्मक विचारों के होते हैं, इनके अंदर दूसरों के लिए घृणा का भाव रहता है । ये बेहद चालाक स्वभाव के होते हैं ।
मोह से दूर रहें
अपने भूतकाल से जुड़ाव ना रखें, बदलाव जीवन की प्रक्रिया है, जो आज है कल कुछ और हो जाएगा । इसलिए किसी भी चीज से ज्यादा जुड़ा ना रखें । जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव में हिम्मत और धैर्य रखें ।
जो है उसमें खुश रहें – आपके पास क्या है क्या नहीं, इसका असर आपकी खुशियों पर नहीं पड़ना चाहिए । जिदंगी जो दे रही है उसे वैसे ही अपनाएं । अपनी सेहत पर ध्यान दें, स्वास्थ्य अच्छा रखें बाकी बातें खुद ही सही हो जाएंगी ।
मेहनत का साथ कभी ना छोड़ें
मृत्यु शैय्या पर लेटे भीष्म पितामह ने व्यक्ति को कठिन परिश्रम करते रहने की सीख दी । उन्होने कहा कि व्यक्ति को कभी अपने कर्मों से नहीं भागना चाहिए, मेहनत करें और भविष्य के लिए भी धन का संचय करें ।
सुरक्षा की जिम्मेदारी – मनुष्य को सभी जीवों से ऊपर माना गया है । उनसे उममीद की जाती है कि वो सभी की रक्षा करें । अपने से छोटे जीवों की, सभी की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रत्येक मानव का धर्म है ।
दया का भाव रखें
मानव धर्म की सबसे बड़ी बात है दया का भाव होना । दूसरों के लिए सदैव दयालु बनें , दया का भाव रखें । जिसे भी आपकी मदद की आवश्यकता हो उसकी मदद करें । तन-मन-धन जियसे चीज से भी आप मदद कर सकते हैं करें ।
उम्मीदें ना रखें – मनुष्य को किसी से उम्मीद ना रखने की सीख भीष्म पितामह ने दी है । किसी से आशाएं रखने पर अगर वो पूरी ना हों तो व्यक्ति निराशा के भाव से घिर जाता है । हमेशा संतुष्ट रहें, और जो है उसमें प्रसन्न रहें ।
किसी का दिल ना तोड़ें
भीष्म पितामह के अनुसार व्यक्ति को अपने कृत्यों से कभी किसी का हृदय नहीं तोड़ना चाहिए । शारीरिक या मानसिक तौर पर कभी किसी को दुखी ना करें । अपने विचारों को निर्मल रखें, किसी को इससे कोई हानि ना पहुंचे ये ध्यान रखें ।
सहनशीलता – सहने की क्षमता विकसित करें । किसी ने कुछ कहा और आप निकल पड़े जंग जीतने । ऐसा भाव ना रखें । अपनी इच्छाओं पर काबू रखें, लालच पर वश रखें ।